मैं ग़ज़्ज़ा हूँ
मैं ग़ज़्ज़ा हूँ
आउश्वित्ज़ और तमाम गैस चैम्बरों का
एक जीवित स्मृति स्तंभ।
मेरे भीतर साँस लेते हैं
भस्मीभूत हिरोशिमा और नागासाकी।
मैं वियतनाम में कार्पेट बॉम्बिंग की
जीती-जागती मिसाल हूँ।
हड्डियों, राख, रक्त और लाशों के
चीथड़ों और खण्डहरों और
जैतून के ठूँठों से भरी मेरी छोटी सी धरती पर
इतिहास की तमाम यातनाएंँ एक साथ
निवास करती हैं।
मैं विश्वासघातों और आत्मसमर्पणों के साथ ही
जिजीविषा, युयुत्सा और मुक्तिस्वप्नों के
अमरत्व का भी सबसे विश्वसनीय
और प्रामाणिक गवाह हूँ।
जब भी तुम समझोगे
एक आततायी समय में जीने के लिए
ज़िन्दगी दाँव पर
लगाकर लड़ने की ज़रूरत,
ख़ुद को मेरे साथ खड़ा होने के लिए
मजबूर महसूस करोगे।
#ग़ज़्ज़ा
(30 Aug 2025)
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