Saturday, August 23, 2025

 

धरती के उस टुकड़े पर

जहाँ तितलियाँ भी बच्चों से

लम्बी ज़िन्दगी जीती हैं, 

मैं तुम्हारे लिए 

कैसी कविता लिखूँ? 

-- अहमद आरिफ़

#ग़ज़्ज़ा

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