धरती के उस टुकड़े पर
जहाँ तितलियाँ भी बच्चों से
लम्बी ज़िन्दगी जीती हैं,
मैं तुम्हारे लिए
कैसी कविता लिखूँ?
-- अहमद आरिफ़
#ग़ज़्ज़ा
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