Thursday, June 05, 2025

कविता मुहावरा मसाला श्रृंखला में दूसरी कविता

 


हरदम उत्पात मचाते हैं। 

तर्क-विवेक से जानी दुश्मनी निभाते हैं। 

अदरक का स्वाद

उन्हें भाता नहीं । 

लेकिन उनका कहना है कि

बन्दरों से उनका कोई नाता नहीं। 

उनकी तो एक भारत माता 

और दूजी गोमाता है। 

इससे ज़्यादा उन्हें कुछ नहीं आता है। 

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(5 Jun 2025)

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