Friday, June 06, 2025

कविता मुहावरा मसाला श्रृंखला में तीसरी कविता

 


मथुरा में रहती है। 

मध्यकाल और आधुनिक काल के बीच

आवाजाही करती है। 

राधा कालेज स्कूटी से आती है। 

लौटानी में डोमिनोज़ का पिज़्ज़ा खाती है। 

फिर वृंदावनबिहारी के आश्रम में जाती है।

भजन गाती है

भागवत कथा बाँचती है। 

नौ मन तेल पेरने पर भी मेरे लिए

राधा नहीं नाचती है। 

मइया कसम, अब तो

बजरंग दल में जायेंगे। 

जिनके लिए राधा नाचती है

उनके पिछवाड़े लट्ठ बजायेंगे। 

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(6 Jun 2025)

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