Thursday, May 01, 2025

 मजदूरों का भी अपना उत्सव  होना चाहि‍ए।

वह उत्सव है पहली मई का दि‍न और इस पर उन्हें  ऐलान करना चाहि‍ए

            ’’सभी को काम, सभी को आजादी, सभी को बराबरी ।‘’  

- स्‍तालि‍न

साथि‍यो!बहुत समय पहले पि‍छली सदी में, सभी देशों के मजदूरों ने फैसला लि‍या था कि‍ वे हर साल यह दि‍न, पहली मई मनाया करेंगे। यह फैसला 1889 में लि‍या गया था जब कई देशों के समाजवादि‍यों की पेरि‍स कांग्रेस में मजदूरों ने संकल्प‍  के साथ यह ऐलान कि‍या था कि‍ ठीक इसी दि‍न, मई की पहली तारीख को, जब प्रकृति‍ सार्दियों की नींद से जाग उठती है,  और जब वनों और पहाड़ों पर हरि‍याली का समारोह दि‍खाई देने लगता है और जब खेत-खलि‍हान और घास के मैदान फूलों की शोभा से भर उठते हैं, सूरज  की गर्म धूप खि‍ल उठती  है, हवा में नवजीवन का नया आनन्द  भर जाता है और प्रकृति‍ नृत्य और आनन्द  में झूम उठती है—ठीक उसी दि‍न उन्होंने संकल्प के साथ बुलन्द  आवाज में ऐलान कि‍या था कि‍ मजदूर वर्ग मानवजाति‍ के जीवन में बसन्त की बहार लाने जा रहा है, पूँजीवाद के शि‍कंजे से मुक्ति  का आस्वादन । आजादी और  समाजवाद के आधार पर दुनि‍या का कायाकल्प करना ही मजदूर का ध्येय है। 

हर वर्ग के अपने उत्सव होते हैं। कुलीन सामन्त जमींदार वर्ग ने अपने उत्सव चलाये और इन उत्सवों पर उन्होंने ऐलान कि‍या कि‍ कि‍सानों को लूटना उनका ‘’अधि‍कार’’ है। पूँजीपति‍ वर्ग के अपने उत्सव  होते हैं और इन वे मजदूरों का शोषण  करने के अपने ‘’अधि‍कार’’ को जायज ठहराते हैं। पुरोहि‍त-पादरि‍यों के भी अपने उत्सव है और उन पर वे मौजूदा व्यवस्थाा  का गुणगान करते हैं जिसके तहत मेहनतकश लोग गरीबी में पीसते हैं और नि‍ठल्ले लोग ऐशो-आराम में रहकर गुलछर्रे उड़ाते हैं। मजदूरों के भी अपने उत्‍सव होने चाहि‍ए जि‍स दि‍न वे ऐलान करें: सभी को काम, सभी के लि‍ए आजादी, सभी लोगों के बराबरी। यह उत्सव है मई दि‍वस का उत्सव।

(यह परचा 'पहली मई ज़िन्‍दाबाद।' शीर्षक से मार्च 1912 में मई दि‍वस बनाने के लि‍ए जे.वी.स्‍तालि‍न द्वारा तैयार और प्रकाशित कि‍या गया था।)

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