ओ बूढ़े पेड़!
मुझे पकी लकड़ी से पहले
कुछ हरी पत्तियाँ दो
और कुछ कत्थई कोंपलें।
सपनो!
मुझे अपने भीतर ले लो।
यादो!
मुझे भूल जाओ।
दरवाज़ो!
मुझे अन्दर आने दो!
प्यार!
तुम एक नयी शुरुआत बनकर
फिर आओ अचानक एक दिन
चकित करते हुए।
पानी!
मेरी आत्मा में बहो चुपचाप।
आँधियो! मुझे उड़ा ले चलो अपने साथ
अज्ञात प्रदेशों की ओर।
आत्मा के घावो!
तुम हरे बने रहो।
आग!
तुम अभी राख में छिपी प्रतीक्षा करो!
रोशनी!
तुम आविष्कार की तरह आओ!
किस्सो!
मेरे मरने का इन्तज़ार करो!
कविता!
तुम बरसो! ख़ूब बरसो!
मुझे तरबतर कर दो!
आँसुओ!
अभी रुके रहो!
मैं अभी ख़ूबसूरत रंग-बिरंगे
पत्थरों के बाज़ार में खड़ी हूँ।
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(25 Feb 2025)
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