ताक़त के नाम प्रेमपत्र
"नाहक तुम इतने परेशान ह़ो कवि!
मैं बचाऊँगा तुम्हारे प्रेमपत्रों को,"
कहा ऊँचे सिंहासन पर बैठे
उस ताक़तवर आदमी ने
कवि की ओर झुकते हुए।
फिर वह उठा और एक विशाल अलमारी को खोला
चाभी लगा कर।
कवि से प्रेमपत्रों का गट्ठर लेकर उसने रखा
उस अलमारी में
कुछ खोपड़ियों, तंत्र विद्या और क़ानून की किताबों,
ख़ून के सूखे धब्बों से भरे मानचित्रों
और चाकुओं-तलवारों के बीच।
फिर उसने कवि से कहा, "वहाँ
उस कुर्सी पर बैठो
और रंग-बिरंगी कलमों में से चुन लो
कोई मनचाही कलम
और एक सुन्दर प्रेमपत्र लिखो
हत्यारी महानता के नाम,
एक और लिखो आतंककारी ताक़त के नाम
और फिर एक और,
अमरता की चाहत के नाम।
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(16 Nov 2024)
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