Saturday, August 24, 2024

बैलेंस शीट

 

अधूरे-असफल प्रेमों,

मनगढ़ंत अभियोगों के आधार पर

चलाये गये मुकदमों, 

क़ैद-ए-तनहाई और दण्डद्वीपों पर

निर्वासनों के अंतहीन सिलसिलों, 

अविराम संघर्षों, 

पराजयों, 

विश्वासघातों 

और बीहड़ यात्राओं ने हमें 

मनुष्य बनाने की 

और कविता का मोल बताने की 

भरपूर कोशिश की I

वो तो हम थे 

जो समय से जान-पहचान कर पाने में 

लम्बे समय तक विफल होते रहे I

मिथ्या आत्मतुष्टि, आत्मधर्माभिमान, 

हठ और मूर्खता में 

उसकी पुकारों की 

बार-बार अनसुनी करते रहे I

नतीजतन, 

जो कर्ज़ कभी लिया ही नहीं, 

उसका भी  ब्याज भरते रहे I 

बात द्वंद्ववाद की करते हुए

बार-बार अधिभूतवाद की डगर पर

फिसलते रहे I

ख़ैर, जब होश सँभाला

तो सबकुछ गँवाकर नहीं! 

कुछ तो था बचा हुआ

जहाँ से फिर एक शुरुआत की जा सकती थी I

और तुम क्या करते हो बंधु 

सफलता-असफलता के बारे में, 

खोने और पाने के बारे में, 

फालतू की किताबी बतकही! 

ज़िन्दगी नहीं है 

किसी बनिये की खाताबही! 

***

(24 Aug 2024)


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