रहस्योद्घाटन
जब बुराइयों की बारिश हो रही थी लगातार
और रह-रहकर यहाँ-वहाँ
क्रूरता के बादल फट रहे थे
सबकुछ तहस-नहस करते हुए,
वह मनुष्यता के भविष्य और
सुन्दरता की गरिमा और
प्यार की चाहत की अनश्वरता के बारे में
अद्भुत कविताएँ लिख रहा था।
कुछ कवि भी मारे गये
जब आम लोगों की हत्याएँ
आम बात हो चुकी थीं।
इन हालात को उसने बेहद दुखद बताया
और कवियों को अराजनीतिक होने
और मनुष्यता से प्रेम करने की सलाह दी।
लम्बा सुरक्षित और यशस्वी जीवन जीने के बाद
मरते समय वह सोच रहा था कि
उसकी कविताएँ ही याद रखी जायेंगी
और उसके राज़ हमेशा राज़ ही रहेंगे।
तभी डाकिया पार्सल का एक पैकेट लेकर आया
जिसमें ख़ून के सूखे धब्बों वाली कमीज़ें थीं,
दस्तानों की एक जोड़ी, एक खंज़र
और क्लोरोफॉर्म की एक शीशी
और कुछ दूसरी चीज़ें थीं
कविता की किताबों के साथ-साथ।
धरती से एक कवि की सुखद विदाई को
बेहद यंत्रणादायी बनाने के बाद
झुर्रियों से भरे, संत सरीखे
मृदुल चेहरे वाले उस डाकिये ने
पापों को स्वीकारने वाले किसी
मृत्युपूर्व बयान का मौक़ा तक नहीं दिया।
देखते ही देखते वह एक विशाल
पौराणिक पक्षी में बदल गया और
अपने पंखों को फड़फड़ाते हुए
खुली खिड़की से बाहर उड़ गया
कवि को उसके गुप्त अपराधों के
पुख़्ता सबूतों के साथ
मरता हुआ, अकेला छोड़कर।
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(1 Aug 2024)
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