Monday, May 27, 2024

हम कुछ सुन्दर और मानवीय

रचना चाहते हैं

और अगर रच पाते हैं 

सचमुच

कुछ भी, थोड़ा भी, सुन्दर और मानवीय, 

तो साथ ही अपने लिए

न जाने कितना तो

दुख रच लेते हैं। 

**

(27मई, 2024)

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