Sunday, May 05, 2024

डरावना मज़ाक़

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 डरावना मज़ाक़

'पहाड़ों पर फिर बेक़ाबू हो गयी है

जंगल की आग' -- कहा जंगलात के

महकमे के उस मोटे थुलथुल आला अफसर  ने

चाय में चीनी घोलते हुए

जो बदनाम रिश्वतखोर था, 

राजनीतिक गलियारों में ऊँची पहुँच वाला

और बीते साल उसकी बेटी ने 

उसकी मरज़ी के ख़िलाफ़ मुहब्बत करके

शादी कर ली थी। 

'अजी, आग की तो फ़ितरत ही है बेक़ाबू हो जाना, 

चाहे वह जंगल की आग हो

या मुहब्बत की, 

या बग़ावत की।'

अपनी समझ से मैंने एक मज़ाक़िया बात

कही थी हँसने के लिए

लेकिन उस अधिकारी का चेहरा 

पीला पड़ गया। 

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(5 May 2024)

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