Tuesday, April 23, 2024

मामूली कविताओं का क़सीदा

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मामूली कविताओं का क़सीदा

दुखों की घाटियों के अभागे बाशिंदों को

भूलने का वरदान हासिल नहीं होता।

बेशक़ वे उन चीज़ों को भूलने की

हर मुमकिन कोशिश करते हैं जो छाती पर

एक भारी पत्थर की तरह सवार रहती हैं। 

आपदाएँ अगर लगातार सिर पर बरस रही हों

ओलों की तरह

तो कुछ मामूली चीज़ों के साथ

एकदम मामूली कविताएँ आगे आती हैं

जो लोगों को तमाम अमानवीय और बर्बर चीज़ों के

आदी होते चले जाने से बचाने की

जीतोड़ कोशिश करती हैं। 

हमारे समय के फ़ासिस्ट घटाटोप में, 

हमारी इस ज़ालिम और अंधकारमय सदी की कविता में 

मनुष्यता के पदचिह्नों की निशानदेही 

तभी की जा सकती है

जब वहाँ सड़कों पर चुपचाप बहता लहू, 

गुमनाम क़ब्रें, नदियों में तैरती लाशें, 

जेलें,यातनागृह और फौजी बूटों की धमक भी हो। 

बेशक़ बेहद मामूली मानी जायेंगी ऐसी कविताएँ

कला के शास्त्रीय सौन्दर्य से वंचित

राख और धूल में सनी हुई

लेकिन उनके सिर पर सच्चाई 

चमकता ताज होगा। 

क्या इक्कीसवीं सदी की कोई 

सच्ची भारतीय कविता ऐसी भी हो सकती है

जिसमें गुजरात-2002, कश्मीर, मणिपुर, 

दिल्ली, मुज़फ्फरनगर और जनसंहारों के

अविराम सिलसिले और इंसानी बूचड़खानों

और मॉब लिंचिंग के आतंक की परछाइयाँ न हों? 

क्या फिलिस्तीन  को भूलकर कविता में

विश्व बंधुत्व, प्यार, सुन्दरता, शान्ति 

और करुणा का संसार रचने वाला कवि 

उन धर्म प्रचारकों से भी अधिक

शातिर कमीना नहीं होगा जो उपनिवेशों के 

निवासियों को आदर्श, शान्तिप्रेमी गुलाम

बन जाने की शिक्षा दिया करते थे। 

क्या आसिफ़ा और उन्नाव और हाथरस की

बलात्कृताओं जैसी हज़ारों  की 

चीखों की अनसुनी करके

कोई कविता बयान कर सकती है

मनुष्यता की गाथा? 

और अगर आपके पास इन सबसे अछूती, 

अमूर्त दुखों, प्यार, अलौकिक सौन्दर्य

और मनुष्यता की संत-समान देशकालेतर

चिन्ताओं और अनंत उल्लास की 

रेशमी लिबास वाली कविताएँ हैं

तो आप यहाँ क्या कर रहे हैं! 

लपककर किसी साहित्य महोत्सव के

भव्य रंगारंग मंच पर पहुँचिए

और अपनी कविताओं से सुखी-संतुष्ट लोगों को

नये सौन्दर्यात्मक आस्वाद से भर दीजिए। 

और उधर देखिए, हाथों में सफ़ेद दस्ताने पहने

हत्यारे भव्य सभागारों में 

कला-साहित्य के गुणीजनों को

तमगे, ईनाम, पदवी और ओहदे बाँट रहे हैं। 

भागकर जाइए! अगर समय रहते नहीं पहुँचे

तो कविता की सारी साधना व्यर्थ हो जायेगी। 

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(23 Apr 2024)

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