Wednesday, February 28, 2024

बहुत सरल और मानवीय होने की रणनीति


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 बहुत सरल और मानवीय होने की रणनीति

उनकी कविता में कला तो गज़ब की थी ही, 

मित्रों से बहुत सुन रखा था

उनकी सहजता, सरलता, हृदय की तरलता

और गहन मानवीयता के बारे में। 

बहुत दिनों से मिलना चाहती थी। 

सौभाग्य से सुअवसर मिला

और राजधानी में उनके दर्शन हुए। 

परम आश्चर्य के साथ मैंने पाया कि

अपनी तमाम सहजता, सरलता, हृदय की तरलता

और गहन मानवीयता के साथ

वह दुनिया के सबसे कुटिल, सबसे अमानवीय

सबसे क्रूर और सबसे बर्बर लोगों के

बेहद नज़दीकी थे। 

बाँये बाजू के कुछ कवियों-लेखकों ने

कहा, "भई, ठीक है, कई बार

उनकी भी सिफ़ारिश और मदद की

ज़रूरत पड़ जाती है। 

ताक़तवर लोगों तक पहुँच रखने वाले

कुछ लोग तो होने ही चाहिए हमारे बीच।" 

सौदा दरअसल दोनों तरफ़ से

फ़ायदे का था। 

ताक़तवर लोगों को भी

हत्या और आतंक का तंत्र चलाने के लिए

कुछ मानवीय और सरल-तरल दिखने वाले

कवियों-लेखकों की उतनी ही ज़रूरत थी

जितनी कुछ अराजनीतिक बौद्धिकों की, 

कुछ कूपमण्डूक बकलोल सद्गृहस्थों की, 

एक संविधान और एक संसद की, 

एक विराट प्रचार तंत्र की

और संविधान और क़ानून व्यवस्था की

सीमाओं में रहने के वायदों और कसमों के साथ

आन्दोलन आदि करने वाले

एक भरोसेमंद विरोध पक्ष की। 

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(28 Feb 2024)

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