Thursday, November 09, 2023

रोशनाबाद कविता श्रृंखला

अगर मामूली लोग जान जायें यह बात... 

हर सनीचर इतवार की शाम

शिवनाथ चढ़ाते हैं देसी का पव्वा

अपने कुछ हमउम्र संघातियों के साथ। 

देसी का सुरूर उनके भीतर कुछ घंटों के लिए

कभी दार्शनिक तो कभी कवि की आत्मा

प्रविष्ट करा देता है और फिर वह 

सूक्तियों या कविता की भाषा में

कुछ घंटे बतियाते हैं। 

बीते इतवार को हुई जुटान में 

इसीतरह जब मौज में आये तो

बोले शिवनाथ, "धनी लोगों का काम

एक दिन भी नहीं चल सकता

उन मामूली लोगों के बिना

जो करते हैं मेहनत-मजूरी और 

उन्हें मालिक-हजूर कहते हैं। 

मामूली लोग जी सकते हैं

धनी लोगों के बिना। 

सच तो यह है कि सिर्फ़ और सिर्फ़

धनी लोगों के बिना ही वे जी सकते हैं

इंसानों जैसी ज़िन्दगी। 

बात बस इतनी सी है कि

वे जान जायें यह बात।"

हमउम्र छबीले ने मुण्डी हिलायी ज़ोर-ज़ोर से

हथेली पर रगड़ी जा रही खैनी को ठोंका तीन बार 

और दुहराई यह बात कुछ रहस्यमय अंदाज़ में, 

"हाँ ! बात बस इतनी सी है कि

वे जान जायें यह बात।"

**

(9 Nov 2023)


No comments:

Post a Comment