Friday, November 10, 2023

सफ़रनामा

 सफ़रनामा

घर के बारे में मुझे बहुत कम याद है। 
घर का मुझे कोई सपना नहीं आता। 
मेरे पास लौटने के लिए कोई घर नहीं
और न ही ऐसी कोई चाहत है। 
मुझे बस वे जगहें याद आती हैं
जहाँ लोगों ने मुझे अपने में शामिल कर लिया
और वे जगहें भी जहाँ से निर्वासित होना पड़ा। 
मैं उन प्रवासी पक्षियों जैसी नहीं जो शीत-प्रवास के बाद
अपने मूल वासस्थान की ओर वापस लौट जाते हैं। 
मेरी यात्रा हमेशा किसी नये ठिकाने की ओर होती है। 
वे लोग तो हर जगह होते हैं
जिनका निवास ही प्रवास होता है
और जिनके डेरों और दिलों के दरवाज़े
नयी-नयी राहें खोजते यायावरों, 
मृत्यु जैसे जीवन को जीवन जैसा जीवन 
बनाने के लिए दिन-रात सक्रिय बाग़ियों, 
सपने देखने वाले मुक्तिकामी जनों
और सच्ची कविता की शर्तों पर जीने वाले
कवियों के लिए हमेशा खुले रहते हैं। 
*
(10 Nov 2023)

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