कामरेड शशि प्रकाश की यह कविता ख़ास तौर पर कविता के सुधी युवा पाठकों, पारदर्शी दिलों वाले बावले और यायावर प्रजाति के बचे-खुचे लोगों, सच्चे कवियों और अनथक-आजीवन विद्रोहियों के लिए!
ऐसा कोई संगीत, दिल के एकदम क़रीब
बड़े-बुज़ुर्गों से सुने किस्सों
और देखी-भोगी गयी अपनी ज़िन्दगी के उधेड़े गये धागों-रेशों से
कोई यादगार म्यूज़िकल कम्पोज़ीशन
बुनने की हर कोशिश बेसूद साबित होगी।
दिलों को झकझोर देने वाले
और ज़ेहन में हमेशा के लिए बस जाने वाले
संगीत को बहुत सारी चीज़ें चाहिए
जैसे कि, हवा में तैरते हुए नीचे उतरते पंखों
और जंगल की आग, हिमस्खलनों,
और समुद्री तूफ़ानों के सपने,
भोर के कोहरे में खोयी सी दिखती पगडंडी,
धरती के खुले हुए ज़ख़्मों से
बेआवाज़ रिसता लहू,
खुशमिज़ाज और आशावादी लोगों के
चुपचाप टूटे हुए पारदर्शी दिलों के निजी रहस्य
और कुछ निश्छल उदात्त पश्चाताप,
सागर की तलहटी में पड़े जहाज़ के मलबे से
किसी गोताखोर द्वारा निकाल कर लाया गया
कुतुबनुमा और चमड़े के थैले में रखा
मोमजामे में लिपटा एक मानचित्र,
झरने से चंद कदमों की दूरी पर
चीड़ के दरख़्तों से घिरे,सोच में डूबे, उदास,
एकाकी देवदारु का अनकहा दु:ख,
अपने आख़िरी सफ़र पर रवाना एक घायल
साबितक़दम बूढ़े बाज़ के
दिलो-दिमाग़ को मथती ज़िन्दगी भर की
लड़ाइयों की यादों की बाज़गश्त
और अधूरी ज़िन्दगी की कसक,
अपने वक़्त के कदमों के निशानात की
शिनाख़्त की चंद शायराना सी कोशिशें
और सैकड़ों-सैकड़ों ऐसी ही दूसरी चीज़ें
जो लोगों से और हमारे वक़्त से वाबस्ता हों।
इनमें से ज़रूरत मुताबिक़ कुछ को चुनकर,
उनके रेशों और रसायनों से
ऐसे ऑर्गेनिक कम्पोज़ीशन्स
तैयार किये जा सकते हैं जिनमें
धड़कता-थरथराता हमारा समय
सुदूर भविष्य के नागरिकों तक
सांगीतिक कूट-संकेत भेज सकता हो
और दूरस्थ तारों की आती रोशनी बटोरकर
मौजूदा अंँधेरे के बाशिंदों की आँखों में
भर सकता हो।
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-- शशि प्रकाश

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