Wednesday, May 24, 2023

प्रसन्नता का संसार

 

प्रसन्नता का संसार

बौद्धिकता के समारोहों,
भावनात्मक शोर 
और साहित्योत्सवों की चकाचौंध में
आत्मा के गिरने की आवाज 
सुनाई नहीं दी। 
ईमान एक सुई की तरह
खो गया था नकली प्रतिबद्धता के
भूसे के ढेर में। 
कविता की पतंग आसमान में खो गयी थी। 
विकल प्रेम में रसिक जनों का सकल संसार
खा रहा था पानी बताशे। 
सदा प्रसन्न रहने वाले
बजा रहे थे ढोल और ताशे! 
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(24 मई, 2023)

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