Tuesday, September 13, 2022

सफ़रनामा

 

सफ़रनामा

थोड़ी सी, 

बहुत थोड़ी सी ही आज़ादी मिली थी

उसे भट्ठी में गलाकर और साँचे में ढालकर मैंने

साइकिल के पहिए बना लिये

और एक रात

अपने छोटे से शहर से भागकर

एक लम्बी यात्रा पर निकल पड़ी I

मुझे बहुत सारी आज़ादी चाहिए थी

और घूमते-भटकते देस-देस

मैंने ग़ुलामियों की जितनी किस्में देखीं, 

बहुत सारी आज़ादी की मेरी चाहत

उतनी ही दुर्निवार होती चली गयी I

थोड़ा सा इंसाफ़

जो बहुत इंतज़ार और मशक़्क़त

और जद्दोजहद के बाद मिला, 

वह ले तो लिया मैंने

लेकिन तसल्ली नहीं हुई उतने से

और मैं पूरा इंसाफ़ हासिल करने की

लड़ाई में शामिल होने के लिए

लोगों को आवाज़ देने लगी I

थोड़े से प्यार के दिन

जो मिले कई बार टुकड़ों-टुकड़ों में

उन्हें जतन से सँजो न सकी I

खो गये वे कहीं किन्हीं यात्राओं में, 

मेलों में, या शोक सभाओं में

और उनकी बस स्मृतियाँ शेष रहीं I

दरअसल बहुत सारा 

ऐसा प्यार चाहिए था मुझे

जो पुनर्नवा होता रहता हो

और पुनर्नवा करता रहता हो

और फिर ऐसे प्यार के बारे में

मैं कविताएँ लिखने लगी I

थोड़ा सा आसमान ही मिला मुझे

और थोड़ी सी धूप

लेकिन मुझे रोशनी से भरे 

समूचे आकाश में उड़ना था

गाते हुए पक्षियों के दल में शामिल होकर

और मैं ऐसे परिन्दों की तलाश में

जंगल-जंगल परबत-परबत

भटकने लगी I

मुझे बहुत सारी आज़ादी, 

बहुत सारा इंसाफ़, 

बहुत सारा प्यार, 

बहुत सारे सपने, 

बहुत सारी ज़िन्दगी, 

बहुत सारी रोशनी, 

बहुत सारा आसमान, 

बहुत सारी उड़ानें

और बहुत सारा बहुत कुछ चाहिए था

और मुमकिन नहीं था

यह सब कुछ अकेले-अकेले पा लेना! 

थक-हारी आत्माओं

और चमकते चर्बीले चेहरों

और तरह-तरह के मुखौटाधारियों के बीच

जीते हुए भी 

यह सब कुछ हासिल नहीं किया जा सकता था! 

इसलिए मैंने उनके बीच 

जाकर जीने का फ़ैसला लिया

जिन्हें इंसाफ़ की, प्यार की, 

रोशनी की, आसमान की

और सपनों की

सबसे ज़्यादा ज़रूरत थी, 

जो ज़िन्दगी के दुर्लभ खनिज

खदानों से निकालते थे

और कारख़ानों में

उनका शोधन करते थे I

पूरी पृथ्वी पर

सिर्फ़ ऐसी ही जगहों पर

सामान्य इंसान की तरह 

जिया जा सकता था

और अपनी सबसे मानवीय

आकांक्षाओं और सपनों को

जीवित रखा जा सकता था

और सिर्फ़ ऐसे ही लोगों के साथ मिलकर

उन सारी चीज़ों के लिए

जीवन-मरण का संघर्ष

किया जा सकता था

भरपूर तृप्ति और ताज़गी

और गौरव के साथ, 

बहुतेरी कठिनाइयों, बाधाओं, समस्याओं, 

अल्पकालिक उदासियों और मायूसियों

और असफलताओं और पराजयों के बावजूद! 

**

(13 सितम्बर, 2022)

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