Friday, August 19, 2022

 


जैसे कोई ज़रूरी ख़त लेकर आता है डाकख़ाने देर से

खिड़की बंद हो चुकी होती है I

जैसे कोई शहर को आसन्न बाढ़ की चेतावनी देना चाह रहा हो,

पर वह दूसरी ज़ुबान बोलता है I वे उसे नहीं समझ पाते I

जैसे कोई भिखारी पाँचवीं बार वह दरवाज़ा खटखटाता है

जहाँ से चार दफ़ा पहले कुछ मिला था उसे

पाँचवी बार वह भूखा है I

जैसे किसी के घाव से ख़ून बह रहा हो और डॉक्टर का इंतज़ार कर रहा हो

उसका ख़ून बहता ही जाता है I

वैसे ही हम आगे आकर बताते हैं कि हमारे साथ बुरा हुआ है I

.

पहली बार बताया गया था कि हमारे दोस्तों का क़त्ल किया जा रहा है

दहशत की चीख़ थी

फिर सौ लोगों को क़त्ल किया गया I

लेकिन जब हज़ार क़त्ल किये गये, और क़त्लेआम की कोई इंतेहा नहीं थी

ख़ामोशी की एक चादर पसर गयी I

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जब बुराई बारिश की तरह आती है, तो कोई भी नहीं चिल्लाता 'रुको'!

जब अपराध ढेर में तब्दील होने लगते हैं, तो वे अदृश्य हो जाते हैं I

जब दुख असहनीय हो जाते हैं, चीख़ें नहीं सुनी जातीं I

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चीख़ें भी बरसती हैं गर्मी की बारिश की तरह I

-- बेर्टोल्ट ब्रेष्ट 

(अनुवाद:प्रकाश के रे )


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