पीछे छूट गये बच्चे
ख़ुद को प्रतिस्पर्धा से बाहर मानकर
बेमन से दौड़ते रहते हैंI
उनमें से बहुतेरे सोचते हैं कि
आखिर उन्हें इस दौड़ में
शामिल होने के लिए
मजबूर क्यों किया गया हैI
उनमें से कुछ सोचने लगते हैं
प्रतियोगिता के ही
औचित्य के बारे मेंI
पीछे छूट गये बहुत से बच्चे
धिक्कारों और उपेक्षाओं से जूझते हुए
अपना साहस और आत्मविश्वास
हासिल करते हैं,
और इस दुनिया में
अपने होने का मकसद ढूँढ़ते हैंI
पीछे छूट गये कुछ बच्चे
इस दुनिया से प्रतिशोध लेने में
या कहीं भी हज़ार समझौते करके
जी लेने में
ख़ुद को ख़र्च कर देते हैंI
वे पहले से ही अपने को
पीछे छूटा हुआ मानकर
सम रफ़्तार से
ज़िन्दगी की दूरियाँ
नापते रहते हैंI
कुछ अलग अपनी राह बनाते हैं
या खोजी यात्राओं पर
निकल पड़ते हैंI
बहुत सारे गुमनाम
पीछे छूट गये बच्चों से ही
बनता है वह जनसमुदाय
जो एक दिन उठ खड़ा होता है
दुनिया बदलने के लिएI
उनके अलग-अलग नाम
इतिहास में दर्ज नहीं होते
लेकिन इतिहास उन्हीं का
कारनामा होता है
और वे होते हैं
सागर की तमाम लहरों में
एक लहर की तरहI
*
(21 अगस्त 2022)
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