Sunday, August 08, 2021

पेगासस आँख-कान !

 

क्या कर पायेंगे पेगासस आँख-कान !

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जन-जन के जीवन पर अहर्निश, प्रतिपल,

 घात लगाये बैठी हैं  

पेगासस निगाहें और पेगासस कान 

एक-एक संवाद सुन रहे हैं !

एक-एक कम्प्यूटर और मोबाइल में घुसे हुए हैं  

मैलवेयर कीट 

भीषण साज़िशें रचते हुए !

गाँवों-मुहल्लों की एक-एक गली और 

सघन वन-प्रान्तरों में  ऊँचे पेड़ों पर,

दुर्गम घाटियों और उत्तुंग पर्वत-शिखरों पर  भी 

लगे हुए हैं सीसीटीवी कैमरे

और सैटेलाइट निगाहें पूरी पृथ्वी के एक-एक घर पर, 

सारी सरगर्मियों पर नज़र रख रही हैं !

 लगता है जैसे एक अदृश्य पाश की तरह 

विद्युच्चुम्बकीय तरंगें 

जीवन को जकड़े हुए हैं !

प्रतिरोध करना तो दूर, 

अलग तरीके से सोचने वाले लोगों तक को 

घरों से उठाकर अँधेरों में 

ग़ायब कर दिया जा रहा है 

या न्याय के हथौड़े से उनकी खोंपड़ियाँ

चकनाचूर की जा रही हैं !

फिर भी तानाशाह की आँखों की नींद ग़ायब है I

बेकल वह रातभर करवटें बदलता रहता है 

और अगर कभी झपकी सी आती भी है तो 

भयावह दु:स्वप्न प्रेत की तरह छाती पर 

चढ़ बैठते हैं !

सारे एहतियात और इन्तज़ामात के बावजूद,

उन्नततम प्रौद्योगिकी के कुशलतम इस्तेमाल 

और उन्नततम हथियारों और कारागृहों और

 यंत्रणागृहों के बावजूद,

तानाशाह को यह नहीं पता चल पाता है 

कि लोग सोचते क्या हैं !

लोगों के असंतोष और गुस्से का तो उसे अंदाज़ा है 

पर उसे जासूसी और निगरानी के पूरे तंत्र के बावजूद 

यह पता नहीं चल पाता है कि आख़िरकार

 भविष्य के बारे में  लोगों की 

योजनाएँ-परियोजनाएँ क्या हैं !

चूँकि सारी आधुनिकतम मशीनों को चलाते हैं इंसान,

और सारी कृत्रिम मेधा को नियंत्रित-संचालित करती है

मानवीय मेधा, इसलिए तानाशाह को 

हुकूमत की सारी मशीनरी चलाने वाले लोगों पर भी 

गहरा संदेह बना रहता है और वह 

उन सबकी भी निगरानी करवाता है !

समस्या एक यह भी है कि निगरानी का 

पूरा स्वचालित तंत्र इतने अधिक तथ्यों और 

आँकड़ों का अम्बार ला खड़ा करता है प्रतिदिन 

कि छाँटने-बीनने की तमाम स्वचालित प्रविधियों के बावजूद 

सारे तथ्यों की पड़ताल लाखों विशेषज्ञों के लिए भी

 कर पाना मुश्किल होता है !

तानाशाह इन अज्ञात तथ्यों के बोझ के नीचे भी 

दबा हुआ मर रहा है जो उसके पास हैं 

लेकिन जिन्हें वह पूरी तरह जान नहीं सकता है !

एक बार फिर यह सिद्ध हो रहा है कि मशीनें 

चाहे जितनी उन्नत और शक्तिशाली हों, 

वे मनुष्य को नियंत्रित नहीं कर सकतीं 

और दुनिया की कोई प्रौद्योगिकी इंसान के 

सोचने और सपने देखने का सटीक आकलन नहीं कर सकती,

ठीक उसीतरह जैसे भूकंप के रहस्य पृथ्वी के अंतस्तल में 

इतनी गहराई में छुपे होते हैं 

कि उनके आने  के कारण भले जानते हैं वैज्ञानिक,

लेकिन उनके आने के समय का सटीक पूर्वानुमान 

एकदम नहीं लगा पाते !

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8 Aug 2021

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