समन्दर की लहरें ज्वार बनने के लिए
पूरनमासी के चाँद का इन्तज़ार करती हैं
और चाँद कभी भी वायदाख़िलाफ़ी नहीं करता।
ज़िन्दगी में ऐसा नहीं होता।
कई बार यहाँ चाँद आने में देर कर देता है
और जब आता है तो इन्तज़ार करती लहरें
थककर सो चुकी होती हैं।
कई बार ऊबकर लहरें चाँद की राह तकना
छोड़ देती हैं और आवारा हवाओं के सहारे
समुद्री तूफ़ान बनने की कोशिश करती हुई
दिशाहीन बिखर जाती हैं।
ज़िन्दगी के तूफ़ानों को ध्वंस और निर्माण की
सटीक योजना के साथ आना होता है।
उन्हें कई-कई नाकामयाबियों के बीच से
कामयाबी की राह बनानी होती है।
उनका कोई पंचांग नहीं होता
न ही कोई समय-सारणी!
फिर भी उन्हें आना ही होता है
ज़िन्दगी में सुन्दर-सार्थक बदलाव की खातिर।
ज़िन्दगी के तूफ़ानों का निर्माण चाँद को ख़ुद
ज़िन्दगी की उमड़ती-घुमड़ती लहरों के
भीतर से करना होता है
जीवन की गतिकी की सटीक समझदारी के आधार पर!
17 Aug 2021
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