जो भी व्यक्ति शोर की जगह संगीत चाहता है, दिलबहलाव की जगह उल्लास चाहता है, सोना की जगह अंतरात्मा चाहता है, कारोबार की जगह सृजनात्मक काम चाहता है, मूर्खता की जगह जोशो-जुनून चाहता है, उसके लिए हमारी इस क्षुद्रता भरी, घिसी-पिटी दुनिया में कोई जगह नहीं होती।
-- हरमन हेस्से (1877-1962)
( जर्मन-स्विस कवि, उपन्यासकार, चित्रकार)
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इंद्रधनुष का अंत कहाँ होता है,
तुम्हारी आत्मा में या क्षितिज पर?
--पाब्लो नेरूदा, 'सवालों की किताब'
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