Monday, August 16, 2021


तुम्हारी फाइलों में गाँव का मौसम गुलाबी है 

मगर ये आंँकड़े झूठे हैं ये दावा किताबी है 

उधर जम्हूरियत का ढोल पीते जा रहे हैं वो 

इधर परदे के पीछे बर्बरीयत है ,नवाबी है 

लगी है होड़ - सी देखो अमीरी औ ग़रीबी में 

ये गांँधीवाद के ढाँचे की बुनियादी खराबी है 

तुम्हारी मेज़ चांँदी की तुम्हारे जाम सोने के 

यहाँ जुम्मन के घर में आज भी फूटी रक़ाबी है।

-- अदम गोंडवी

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