Thursday, July 29, 2021

 


इस समूची दुनिया में, जहाँ भी बादल हैं और परिंदे हैं और इंसानी आँसू हैं, वहाँ मैं घर जैसा महसूस करती हूँ।

-- रोज़ा लक्ज़मबर्ग

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