Friday, July 31, 2020

बच्चों को दे दें यह दुनिया

 

[एक बेहद कठिन समय में जब अँधेरा गहराता जा रहा हो और आपको भविष्य और आने वाली पीढ़ियों की खातिर बर्बरता की शक्तियों के विरुद्ध एक निर्मम-निर्णायक संघर्ष में उतरने की तैयारी करनी हो तो अपने हृदय की तरलता को, सपनों को, कविता को बचाए रखना ज़रूरी होता है ! इस तरलता से आपको धारा के विरुद्ध तैरने की शक्ति मिलती है, साहस मिलता है I कविता हमारा यह प्रयोजन सिद्ध करती है ! नाज़िम हिकमत ने आततायी सत्ता से लड़ते हुए जेलों में नारकीय जीवन भी बिताया, पर उनके हृदय में बच्चों, भविष्य और मनुष्यता के प्रति वह तरलता बनी रही जहाँ से कविता की अन्तर्धाराएँ फूटती हैं ! उन्होंने मनुष्यता के भविष्य के प्रति उम्मीद कभी नहीं छोड़ी I यही उनकी कविताओं की शक्ति है और इसीलिये कठिन समयों में वे हमें और अधिक आत्मीय लगती हैं ! कवियों को नाज़िम हिकमत से जानना चाहिए कि सुन्दर और शक्तिशाली कविता के वास्तविक स्रोत क्या हैं ! बाक़ी, शब्दों से सुन्दर पच्चीकारी करने वाले, बारीक रेशमी कतान और महीन तराश वाले तो बहुत घूम रहे हैं कविताओं का खोमचा सजाये, इस उम्मीद में कि महामहिमों की निगाह पड़ेगी तो कुछ इनामो-इकराम हासिल हो जायेंगे ! बहरहाल, आप नाज़िम हिकमत की यह ख़ूबसूरत कविता पढ़िए !]


चलो यह दुनिया सिर्फ़ एक दिन के लिए बच्चों को सौंप दें


खेलने के लिए चमकदार और चित्ताकर्षक रंगों वाले एक बैलून की तरह


और उन्हें खेलने दें सितारों के बीच गाते हुए


चलो बच्चों को दे दें यह दुनिया एक बहुत बड़े सेब की तरह, एक गरमागरम पावरोटी की तरह


कम से कम एक दिन उन्हें किसी चीज़ की कमी न हो


बच्चों को दे दें यह दुनिया


कम से कम एक दिन के लिए दुनिया को सीखने दें दोस्ती करना


बच्चे हमारे हाथों से हासिल करेंगे यह दुनिया


और वे रोपेंगे अनश्वर पौधे !


-- नाज़िम हिकमत

('बच्चों को दे दें यह दुनिया')



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