Saturday, August 01, 2020

 

सत्ता और दलाल स्ट्रीट के दलालों को, हवाला कारोबारियों को, माफिया सरदारों को, पूँजीपतियों और उनके राजनीतिक सेवकों को, घटिया अवसरवादियों और सत्ताधर्मी "वामपंथियों" को मरने पर मैंने आजतक श्रद्धांजलि नहीं दी है ! ठीक है, इस मौक़े पर मैं उनकी राजनीतिक आलोचना भी नहीं रखती हूँ, सभ्यता के तकाज़े से चुप रहती हूँ, पर श्रद्धांजलि नहीं देती ! अगर मैं जन-शत्रुओं को श्रद्धा-सुमन अर्पित करूँगी तो शहीद क्रांतिकारियों को याद करने और गुमनाम मरते लाखों गरीबों के बच्चों के लिए दुःख और क्रोध प्रकट करने का नैतिक अधिकार खो दूँगी !

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