अपने बेटे के नाम आख़िरी चिट्ठी
बीजों में, धरती में, सागर में भरोसा करना,
मगर सबसे अधिक लोगों में भरोसा करना I
बादलों को, मशीनों को, और किताबों को प्यार करना,
मगर सबसे ज्यादा लोगों को प्यार करना I
ग़मज़दा होना
एक सूखी हुई टहनी के लिए,
एक मरते हुए तारे के लिए,
और एक चोट खाए जानवर के लिए,
लेकिन सबसे गहरे अहसास रखना लोगों के लिए I
खुशी महसूस करना धरती की हर रहमत में --
अँधेरे और रोशनी में,
चारों मौसमों में,
लेकिन सबसे बढ़कर लोगों में I
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अज़ीम इन्सानियत
अज़ीम इन्सानियत जहाज़ के डेक पर सफ़र करती है
रेलगाड़ी में तीसरे दर्ज़े के डब्बे में
पक्की सड़क पर पैदल
अज़ीम इन्सानियत I
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अज़ीम इन्सानियत आठ बजे काम पर जाती है
बीस की उम्र में शादी कर लेती है
चालीस तक पहुँचते मर जाती है
अज़ीम इन्सानियत I
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रोटी काफ़ी होती है सबके लिए अज़ीम इन्सानियत को छोड़कर
चावल के साथ भी यही बात
चीनी के साथ भी यही बात
कपड़ों के साथ भी यही बात
किताबों के साथ भी यही बात
काफ़ी होती हैं चीज़ें सबके लिए अज़ीम इन्सानियत को छोड़कर I
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अज़ीम इन्सानियत की ज़मीन पर छाँह नहीं होती
उसकी सड़क पर बत्ती नहीं होती
उसकी खिड़की पर शीशे नहीं होते
पर अज़ीम इन्सानियत के पास उम्मीद होती है
उम्मीद के बिना तुम ज़िन्दा नहीं रह सकते I

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