Tuesday, June 02, 2020

दिल्ली की साहित्यिक मंडी में ... ...

दिल्ली की साहित्यिक मंडी में ... ...

सब गंदा है पर धंधा है !

जिसको देखो नंगा है पर

किताबें छपाकर, विदेश-यात्राएँ करके,

77 भाषाओं में अनुवाद कराकर,

सत्ता और प्रगतिशील मंचों से एक साथ सम्मानित होकर,

पियक्कड़ों-लम्पटों से चुम्मा-चुम्मी करके

चंगा है भई चंगा है

टंच, चकाचक चंगा है !

गिनते-गिनते थक जाओगे,

देखो, कितने बिल्ला हैं और कितने-कितने रंगा हैं !

संस्कृति का यह कोठा बेसमेंट सहित छःतल्ला है !

कोई मंडी हाउस का तो कोई 'दरियागंज का दल्ला' है !

(2जून, 2020)

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