Saturday, May 23, 2020

जीवन-जादू


जीवन-जादू

वह छोटा-सा नीला तम्बू था

मेरे गुप्त दुखों का

एक आदमी के लिए आरामदेह

पर दो भी अंट सकते थे थोड़ी मुश्किल से I

अँधेरे में बहे आँसुओं,

एकांत चाँदनी रात के पापों और पसीने

और स्त्री-रक्त और नींद

के बीच पले-बढ़े सपने के रंग वाले

पौधे को साथ लेकर निकली थी मैं

पुराने ज़माने से चुपचाप,

जैसे जेल से कोई कैदी सुरंग खोदकर

निकल भागा हो I

कई-कई रेगिस्तानी तूफ़ानों और पहाड़ी आँधियों में

जर्जर होकर भी बच रहा मेरा नीला तम्बू

एक समुद्री चक्रवात में उड़ गया

और लहरों के साथ बहता हुआ

मेरी आँखों से ओझल हो गया I

सपनों के रंगों वाले मेरे लगातार बड़े होते पौधे को

किसी बस्ती के शरारती बच्चों ने चुरा लिया I

अभी मैं जिस क़ब्रगाह में रहती हूँ

वहाँ रोज़ सूखे-मुरझाये फूलों के बीच

कुछ तरोताज़ा फूल रहते हैं,

रात में कुछ भिखारी, कुछ चोर और कुछ पियक्कड़

यहाँ बैठकर ज़िंदगी और सपनों के

रहस्य पर बातें करते हैं

और एक पुरातन बरगद की धरती से बाहर

ऊँट के कूबड़ की तरह उभरी जड़ पर

बैठकर एक बेहद थका हुआ आदमी

मौत के ख़िलाफ़ एक लम्बी कविता लिखता रहता है I

(22मई, 2020)

No comments:

Post a Comment