Sunday, December 22, 2019

हादसा


हादसा

यक ब यक ही हुआ वह हादसा

कि मैं इस क़दर सुखी और संतुष्ट लोगों से घिर गयी

एक वह्शतअंगेज़ वक़्त में

जब अँधेरा लोगों की रगों में खून के साथ

घुल-मिलकर बहने की खौफ़नाक कोशिशों में लगा हुआ था I

उन लोगों को अगर ज़माने से और हुक्मरानों से

कुछ शिकायतें भी थीं तो बस थोड़ी-बहुत

बेहद दोस्ताना शिकायतें थीं

और उनका कहना था कि जो ऊपर बैठे होते हैं

उनकी बहुत सारी मजबूरियाँ होती हैं

जिन्हें नीचे वाले समझ ही नहीं सकते I

वे सभी जैसे किसी अतियथार्थवादी पेंटिग के फ्रेम में

जकड़े हुए सपाट चेहरे वाले लोग थे

जो बड़े प्यार से मुझे अपने बीच

जगह देने की कोशिश कर रहे थे I

मैं किसीतरह बाहर निकल तो आयी

उस महफ़िल से मगर उसकी यादें मुझे

कई-कई दिनों तक

बुरे सपनों की तरह सताती रहीं !

(1नवम्‍बर, 2019)

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