अगर मशीनें हमारी ज़रूरत की हर चीज़ पैदा कर सकती हैं, तो फिर नतीजा इस बात पर निर्भर करता है कि चीज़ों का वितरण किसतरह होता है I अगर मशीनों द्वारा उत्पादित संपदा बाँट दी जाये तो हर आदमी सुविधा और शानो-शौक़त की ज़िन्दगी बसर कर सकता है I लेकिन मशीनों के मालिक अगर संपदा के पुनर्वितरण के विरुद्ध जनमत तैयार कर लें तो अधिकांश लोग नारकीय गरीबी में जीने को बाध्य होंगे I अभीतक तो रुझान दूसरे विकल्प के पक्ष में ही दीख रही है, तकनोलोजी के साथ ही असमानता निरंतर बढ़ती जा रही है I
-- स्टीफ़न हाकिंग ( हमारे समय के एक महानतम वैज्ञानिक )
(8 जनवरी,1942-14 मार्च 2018)
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