कुछ भी नहीं होता दो बार।
हर घटना अकेली होती है और हर सपना भी।
दो बार वही प्यार नहीं होता।
पुराना प्यार यदि वापस भी लौटे तो वही नहीं रह जाता ।
वही चुम्बन दुहराया नहीं जाता ।
हम जब फिर से पहुँचते हैं किसी पुरानी जगह, वह वही नहीं होती।
हर बार जुदाई अपने ढंग की अकेली होती है ।
हर अलगाव का अपना अलग तरीका और सलीका होता है।
हर नारा नये कंठों से नया होकर उठता है जिस आकाश में
वह गुज़रे दिनों का आकाश नहीं होता
और जो क्रान्ति पुरानी क्रान्तियों से सीखकर डग भरती है ज़मीन पर
वह ज़मीन नयी होती है जो उसे एक नयी शक्ल देती है।
हम जिस देश-काल को जीते हैं वह अगले ही पल इतिहास हो जाता है।
लगातार किसी सपने का पीछा करने में ही जीवन है
धड़कता-थरथराता हुआ अविराम।
(15मार्च, 2019)
हर घटना अकेली होती है और हर सपना भी।
दो बार वही प्यार नहीं होता।
पुराना प्यार यदि वापस भी लौटे तो वही नहीं रह जाता ।
वही चुम्बन दुहराया नहीं जाता ।
हम जब फिर से पहुँचते हैं किसी पुरानी जगह, वह वही नहीं होती।
हर बार जुदाई अपने ढंग की अकेली होती है ।
हर अलगाव का अपना अलग तरीका और सलीका होता है।
हर नारा नये कंठों से नया होकर उठता है जिस आकाश में
वह गुज़रे दिनों का आकाश नहीं होता
और जो क्रान्ति पुरानी क्रान्तियों से सीखकर डग भरती है ज़मीन पर
वह ज़मीन नयी होती है जो उसे एक नयी शक्ल देती है।
हम जिस देश-काल को जीते हैं वह अगले ही पल इतिहास हो जाता है।
लगातार किसी सपने का पीछा करने में ही जीवन है
धड़कता-थरथराता हुआ अविराम।
(15मार्च, 2019)
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