Tuesday, March 05, 2019

बेर्टोल्ट ब्रेष्ट की कुछ छोटी कविताएँ


(1)

लड़ाई का कारोबार

एक घाटी पाट दी गयी है
और बना दी गयी है एक खाई I

(2)

यह रात है

विवाहित जोड़े
बिस्तरों में लेटे हैं
जवान औरतें
अनाथों को जन्म देंगी I

(3)

ऊपर बैठने वालों का कहना है

ऊपर बैठने वालों का कहना है :
यह रास्ता महानता का है
जो नीचे धँसे हैं, उनका कहना है :
यह रास्ता क़ब्र का है I

(4)

दीवार पर खड़िया से लिखा था

दीवार पर खड़िया से लिखा था :
वे युद्ध चाहते हैं
जिस आदमी ने यह लिखा था
पहले ही धराशायी हो चुका है I

(5)

जब कूच हो रहा होता है

जब कूच हो रहा होता है
बहुतेरे लोग नहीं जानते
कि दुश्मन उनकी ही खोंपड़ी पर
कूच कर रहा है I
वह आवाज़ जो उन्हें हुक्म देती है
उन्हीं के दुश्मन की आवाज़ होती है
और वह आदमी जो दुश्मन के बारे में बकता है
खुद दुश्मन होता है I

(6)

युद्ध जो आ रहा है

युद्ध जो आ रहा है
पहला युद्ध नहीं है I
इससे पहले भी युद्ध हुए थे I
पिछला युद्ध जब ख़त्म हुआ
तब कुछ विजेता बने और कुछ विजित I
विजितों के बीच आम आदमी भूखों मरा
विजेताओं के बीच भी मरा वह भूखा ही I

(7)

जो शिखर पर बैठे हैं, कहते हैं

वे जो शिखर पर बैठे हैं, कहते हैं :
शांति और युद्ध के सारतत्व अलग-अलग हैं
लेकिन उनकी शान्ति और उनका युद्ध
हवा और तूफ़ान की तरह हैं
युद्ध उपजता है उनकी शान्ति से
जैसे माँ की कोख से पुत्र
माँ की डरावनी शक्ल की याद दिलाता हुआ
उनका युद्ध ख़त्म कर डालता है
जो कुछ उनकी शांति ने रख छोड़ा था I

(8)

नेता जब शान्ति की बात करते हैं

नेता जब शांति की बात करते हैं
आम आदमी जानता है
कि युद्ध सन्निकट है
नेता जब युद्ध को कोसते हैं
मोर्चे पर जाने का आदेश
हो चुका होता है I

*
(रचना काल : द्वितीय विश्वयुद्ध की पूर्वबेला जब पूरा जर्मनी नात्सियों द्वारा भड़काए युद्धोन्माद में डूबा हुआ था )
(अनुवाद : मोहन थपलियाल )

*


*****




भूखों की रोटी हड़प ली गयी है
.

भूल चुका है आदमी मांस की शिनाख्त

व्यर्थ ही भुला दिया गया है जनता का पसीना I

जयपत्रों के कुञ्ज हो चुके हैं साफ़ I


गोला-बारूद के कारखानों की चिमनियों से

उठता है धुआँ I

 (रचना काल:द्वितीय विश्वयुद्ध की पूर्वबेला जब पूरा जर्मनी नात्सियों द्वारा भड़काए युद्धोन्माद में डूबा हुआ
था)
(अनुवाद : मोहन थपलियाल )



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