Monday, March 04, 2019


देशभक्ति दुष्टों का अंतिम शरण्य है !
-- सैम्युएल जॉनसन

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जाहिर है कि आम आदमी युद्ध नहीं चाहता, न रूस में,न इंग्लैंड में, न अमेरिका में और न ही जर्मनी में I यह मानी हुई बात है I लेकिन लोगों को नेताओं की आवाज़ पर इकट्ठा किया जा सकता है I यह आसान है I तुम्हें बस इतना करना है कि उनसे कहना है कि उनपर हमला हो रहा है, और देशभक्ति की कमी के लिए और देश को खतरे में धकेलने के लिए शांतिवादियों की भर्त्सना करनी है I हर देश में यह तरकीब समान रूप से कारगर होती है I
-- हरमन गोयरिंग
हिटलर की नात्सी पार्टी का शीर्ष नेता
(युद्ध के बाद युद्धापराधी नात्सियों पर चलाये गए नूरेम्बर्ग मुक़द्दमे के दौरान दिए गए बयान का अंश)

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युद्धकाल में, झूठ बोलने में विफलता एक लापरवाही होती है, झूठ पर संदेह करना कदाचार होता है, सच की घोषणा एक अपराध होता है I
-- आर्थर पोन्सोन्बी
('Falsehood in War Time')

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युद्ध झूठ के इसी कोहरे में लड़े जाते हैं, इसके एक बड़े हिस्से का पता नहीं लगाया गया होता है और वह सत्य के रूप में स्वीकृत होता है I यह कोहरा भय से पैदा होता है और संत्रास से पोषित होता है I सर्वाधिक अतिकाल्पनिक कहानी पर भी संदेह करने या उसे खारिज़ करने की किसी कोशिश की तत्काल अगर देशद्रोह नहीं तो देशभक्ति-विरोधी कार्रवाई के रूप में भर्त्सना की जाती है I इससे झूठों के फैलाव के लिए एक खुला मैदान मिल जाता है I
-- आर्थर पोन्सोन्बी
('Falsehood in War Time')

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