Saturday, January 26, 2019


गलत हुआ है तुम्हारे साथ I

अलग हो रहे हैं हम आज, दो दुनियाएँ होंगी हमारी I

बूढ़ा हो चुका हूँ मैं और जल्दी ही आयेगी मृत्यु मुझे लेने को I

ये चंद शब्द हैं तुम्हारे लिए मेरा आख़िरी सन्देश I

मानव-जीवन सीमित है, लेकिन क्रान्ति नहीं जानती कोई सीमा I

पिछले दस वर्षों के संघर्ष में मैंने क्रान्ति के शिखर तक पहुँचने की कोशिश की, लेकिन नहीं हो सका कामयाब I

पर तुम पहुँच सकती हो क्रान्ति के शीर्ष तक I

अगर विफल होगी तुम, तो गिरकर खो जाओगी अतल गहराइयों में I

क्षत-विक्षत बिखर जाएगा तुम्हारा शरीर I

तुम्हारी हड्डियाँ चूर-चूर हो जायेंगी I

--- जीवन-संगिनी और कामरेड चियांग चिंग के नाम माओ त्से-तुंग का गद्य-गीतनुमा अंतिम सन्देश

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( ऐसा समझा जाता है कि चियांग चिंग के नाम माओ त्से-तुंग ने यह अंतिम सन्देश 1976 में अपनी मृत्यु से ठीक पहले कभी लिखा था I 1966-76 के बीच दस वर्षों का समय चीन में समाजवाद की रक्षा के लिए, पूँजीवादी पथगामियों के विरुद्ध उस महान क्रान्तिकारी संघर्ष का समय था, जिसे 'महान सर्वहारा सांस्कृतिक क्रान्ति' के नाम से जाना जाता है I माओ अंतिम साँस तक जीवन-मृत्यु के इस संघर्ष में जूझते रहे और उनके निकटतम सहयोगियों में चियांग चिंग भी थीं I सांस्कृतिक क्रान्ति ने समाजवादी समाज में वर्ग-संघर्ष की प्रकृति और दिशा के बारे में युगांतरकारी शिक्षाओं से मार्क्सवादी सैद्धांतिकी को समृद्ध किया, लेकिन उससमय तक पूँजीवादी पथगामी पार्टी और राज्य में अपनी जड़ें इतनी मज़बूत कर चुके थे कि अपने ढंग की इस पहली महान क्रान्ति को प्रतिक्रान्ति के हाथों पराजय का सामना करना पड़ा I 1976 में माओ की मृत्यु होते ही पूँजीवादी पथगामियों ने तख्तापलट करके चांग चुन-चियाओ और चियांग चिंग जैसे शीर्ष माओवादी नेताओं सहित हज़ारों को गिरफ्तार कर लिया I 4-5 वर्षों के भीतर पार्टी की 90 प्रतिशत सदस्यता को हटाकर सांस्कृतिक क्रांति के दौरान दण्डित-आलोचित-निष्कासित पूँजीवादी पथगामियों को उसमें भरती कर लिया गया I नए शासकों ने सांस्कृतिक क्रान्ति को 'महाविपदा' घोषित कर दिया I धीरे-धीरे कम्यून तोड़ दिए गए, कारखानों से मज़दूरों का स्वामित्व ख़तम करके उन्हें बुर्जुआ 'पब्लिक सेक्टर' बना दिया गया I फिर सामूहिक खेती की ज़मीन पट्टे पर निजी हाथों में दे दी गयी, कारखाने भी निजी क्षेत्र में लगने लगे, विदेशी कंपनियों को प्लांट लगाकर चीनी मज़दूरों को लूटने की खुली छूट दे दी गयी I आज का चीन एक ओर जहाँ साम्राज्यवादी होड़ में अमेरिका और पश्चिमी साम्राज्यवादियों को टक्कर दे रहा है; वहीं चीन में मज़दूर फिर से आधुनिक गुलामों जैसी स्थिति में जी रहे हैं I लेकिन भीषण दमन और सेंसरशिप के बावजूद मज़दूर और आम छात्र-युवा वहाँ लगातार संघर्ष कर रहे हैं I माओ की यह भविष्यवाणी सही साबित हो रही है कि चीन में अगर पूँजीवादी पथगामी सत्ता पर काबिज हो भी गए तो वे चैन से शासन नहीं कर पायेंगे और सांस्कृतिक क्रांति की शिक्षाओं के आलोक में चीनी जनता फिर उठ खड़ी होगी I चांग चुन-चियाओ और चियांग चिंग तमाम दमन के बावजूद नए हुक्मरानों के सामने झुकाने और माफीनामा लिखने को तैयार नहीं हुए और वीर कम्युनिस्ट योद्धा की तरह जेल में ही उनकी मौत हुई I लेकिन हालात अभी से संकेत देने लगे हैं कि उनकी कुर्बानी व्यर्थ नहीं जायेगी I चीन में इतिहास फिर करवट बदलेगा I वे दिन हालाँकि अभी दूर हैं, पर उनके पूर्व-संकेत इतिहास के सजग अध्येताओं को अभी से दीखने लगे हैं ! )

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