चार छोटी कविताएं
(एक)
वादियां
धुंआ-धुंआ
आसमां
निचाट है
मन
बहुत उदास है।
(दो)
पानी-पानी
हवा,
सीली-सीली
आग,
जमी,बर्फ-सी
प्यास।
(तीन)
उलझी हैं आवाज़ें
जंगल की शाखों में।
बेकल प्रतीक्षा है
ऊंघ रही बस्ती में।
(चार)
बीहड़ इन राहों में
कांटे हैं, कुश हैं।
फिर भी हम खुश हैं।
-कविता कृष्णपल्लवी
बहुत ही उम्दा ख्यालात और अभिव्यक्ति भी उतनी ही खूबसूरत..
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