सभी देशों को आज़ाद करवाने वाले वहां के विद्यार्थी और नौजवान ही हुआ करते हैं। क्या हिन्दुस्तान के नौजवान अलग-अलग रहकर अपना और अपने देश का अस्तित्व बचा पायेंगे? नौजवान विद्यार्थियों पर किये गये अत्याचार भूल नहीं सकते। वे पढ़ें। ज़रूर पढ़ें। साथ ही पॉलिटिक्स का भी ज्ञान हासिल करें और जब ज़रूरत हो तो मैदान में कूद पड़ें और अपना जीवन इसी काम में लगा दें। अपने प्राणों का इसी में उत्सर्ग कर दें। वरन् बचने का कोई उपाय नज़र नहीं आता।
-भगत सिंह
('विद्यार्थी और राजनीति', जून,1928 में 'किरती' पत्रिका में प्रकाशित लेख)
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