जो रुका वो चुका
ठहरी-ठहरी चीज़ें
पीछे छूट रही हैं।
यादें उनकी
शांति हृदय की लूट रही हैं।
रुका हुआ जो, छूटेगा ही,
यही नियम है।
सबकुछ लादे चलना
मन का गलत भरम है।
सूखी डालों में फिर
कल्ले फूट रहे हैं।
गति से सुख के रिश्ते
सदा अटूट रहे हैं।
-- कविता कृष्णपल्लवी
गति से सुख के रिश्ते सदा अटूट रहे हैं.... बेजोड़...
ReplyDeleteकाश हिंदी के कविगण और लेखक लोग भी ये बात समझ जाते.....