Saturday, November 29, 2025


ज़्यादातर लोगों द्वारा सुनाये गये किस्से सजे-धजे बागों की तरह लगते हैं -- करीने से छाँटी गयी बाड़, सुव्यवस्थित फूलों की क्यारियाँ, सलीके से कटी घास का मैदान और कुछ सुन्दर सजावटी झाड़ियाँ और पेड़। 

कुछ ही लोग मिलते हैं जिनके किस्से जंगलों जैसे होते हैं -- तमाम किस्म के जंगलों जैसे। 

और कई ऐसे लोग भी मिलते हैं जिनके दिलों में किस्सों के क़ब्रिस्तान होते हैं। 

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मेरे पास किस्सों के जंगल हैं और कुछ क़ब्रिस्तान भी। 

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इधर सुनने में आया है कि कुछ लोग रात के अँधेरे में क़ब्रों को खोदकर कंकाल निकाल ले जाते हैं और उनकी हड्डियों के ढाँचे को व्यवस्थित करके और पालिश करके ऊँची क़ीमत पर बेच देते हैं। आजकल कुछ लोग अपने अध्ययन कक्ष में और कुछ अपने शयनकक्ष में नरकंकाल सजाकर रखने लगे हैं। 

(उनींदे में डायरी के कुछ इन्दराज)

(29 Nov 2025)

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