... बौद्धिक समाज में, या आम मध्यवर्गीय नागरिकों के बीच रहते हुए अगर आप उसूलपरस्त हैं तो दोस्त गिने-चुने मिलेंगे और दुश्मन बहुतायत में।
... अगर आप संवेदनशील और सोचने वाले इंसान हैं तो दुख हमेशा आपका पीछा करते रहेंगे और ख़ुशियाँ दूर भागती रहेंगी।
... फिर भी हर मुमकिन जतन करके अपनी दोस्तमिज़ाजी बचाये रखनी चाहिए और ज़िन्दादिली भी। नौटंकीबाज़ और दुनियादार लोगों से घिरे होकर भी अपनी सादामिज़ाजी और पारदर्शिता बचाये रखनी चाहिए, हालाँकि यह उतना आसान नहीं होता।
... जीवनानुभव अर्जित करने के लिए बहुत सारे लोगों का संग-साथ चाहिए होता है और चिन्तन और सृजन के लिए बहुत सघन अकेलापन।
... भावनाओं का अपना तर्क होता है और हर तर्क (या विचार) के पीछे (सकारात्मक या नकारात्मक) भावनाएँ होती हैं। अगर विचारों के पीछे सिर्फ़ नकारात्मक भावनाएँ हैं, या सकारात्मक भावनाओं का प्रवाह बेहद क्षीण है तो आप दुर्दांत विद्वान भले हो सकते हों, आपके हृदय के रेगिस्तान में कविता की सदानीरा सरिता कभी प्रवाहित नहीं हो सकती। हाँ, बरसों के दौरान, कभी-कभार होने वाली बारिश के दौरान तो बीहड़ मरुस्थलों में भी क्षीण जलधाराएँ बह निकलती हैं जिन्हें जल्दी ही रेतीला विस्तार अपने भीतर सोख लेता है।
... कुछ लोगों के व्यक्तित्व का विस्तार बहुत अधिक होता है लेकिन रेगिस्तान जैसा।
... रेगिस्तान को कई विधियों से हरा-भरा बनाया जा सकता है लेकिन रेगिस्तान जैसे व्यक्तित्वों को मानवीय हरियाली और कविता की आभा से भर पाना लगभग नामुमकिन होता है।
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(डायरी के कुछ इन्दराज, अगस्त-नवम्बर 2025 के दौरान)
(21 Nov 2025)

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