(नेपाली कवि कामरेड बलराम तिमल्सिना ने मेरी कविता 'एक नीले सपने का क़सीदा' का नेपाली भाषा में अनुवाद किया है)
एउटा नीलो सपनाको कथा
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कालो -खैरो
राजकीय हिंसाको छायाँ मुन्तिर
अँध्यारोमा रातो रगत घोलिएको थियो ।
सडकहरूमा निरङ्कुश आवाजको साम्राज्य थियो
मन्दिरमा घण्टहरू
पुरै तागत लगाएर बजिरहेका थिए
अनि चिहानघारीमा
रातको एकान्तमा
पँहेला जूनकीरीहरू चम्किरहेका थिए ।
लखेटिरहेको हत्याराबाट बच्नको लागि
म अँध्यारो अनि घुमाउरो
अप्ठेरो गल्लीको बाटो दौडिरहेकी थिएँ
यत्तिकैमा
खै निद्रामा हो या ब्युँझेको बेला हो
एउटा ढोका खुल्यो
अनि म वास्तविक हो या अवास्तविक
कुनै अर्कै लोकमा प्रवेश गरें ।
त्यहाँ एउटा सपनाको नीलोपनमा
सबै कुराले नुहाएका थिए ।
एउटा काव्यात्मक नीलो आवेगमा ।
आशाहरूले भरपुर
निर्भिक बैंसालुपनको निश्चल नीलोपनमा ।
जूनेली पनि नीलै बनेर वर्षिरहेको थियो ।
वनस्पतीहरूले पनि
त्यो रात नीलो बन्न पाऊँ भनेर अनुमती मागेका थिए ।
नीलोपनको त्यो स्वप्निल विस्तारमा
मैले एउटा रातो रङ्गको सपना देखें ।
सायद सपनामै अर्को सपना
अनि खुसीले मरें ।
मेरो शरीर नीलो बन्यो
अनि नीलो सपनामा घोलियो ।
भूइँमा पराजित अनि किंकर्तयविमूढ
त्यही चक्कु देखिन्थ्यो
जुन चक्कु मेरो पिठ्युँमा गाडिएको थियो ।
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©Kavita Krishnapallavi
अनु :बलराम
मूल कविता:
एक नीले सपने का क़सीदा
काले-भूरे राजकीय हिंसा के घटाटोप में
लाल रक्त घुल रहा था अँधेरे में।
सड़कों पर फ़ासिस्ट शोर का साम्राज्य था
मन्दिरों के घण्टे पूरी ताक़त के साथ
बज रहे थे
और क़ब्रिस्तान में रात की वीरानगी में
पीले जुगनू चमक रहे थे।
पीछा करते हत्यारों से बचने के लिए मैं
तंग घुमावदार अँधेरी गलियों से होकर
भाग रही थी कि सहसा
नींद में या कि जागे में
खुला एक दरवाज़ा
और मैं वास्तविक या कि अवास्तविक
किसी और दुनिया में प्रवेश कर गयी।
वहाँ एक सपने के नीलेपन में
सबकुछ नहाया हुआ था।
एक काव्यात्मक नीले आवेग में।
उम्मीदों से लबरेज़
निर्भीक तरुणाई के निष्कलुष नीलेपन में।
चाँदनी भी बरस रही थी नीली।
वनस्पतियों ने इजाज़त माँगी थी वहाँ उस रात
कि नीली हो जायें।
नीलेपन के उस स्वप्निल विस्तार में
मैंने एक लाल रंग का सपना देखा।
शायद सपने में एक सपना
और ख़ुशी से मर गयी।
नीला पड़ गया मेरा शरीर
और नीले सपने में घुल गया।
फ़र्श पर पड़ा था पराजित, किंकर्तव्यविमूढ़
इस्पात का वही चमकता हुआ चाकू
जो मेरी पीठ में धँसा हुआ था।
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