पीछे है पतझड़ की वीरानगी।
आगे है एक विकट तूफ़ान।
यह है बीच का एक पड़ाव।
बसंत से हमारी मुलाक़ात हो न हो
हमारे बच्चों की ज़रूर होगी,
यह पुराना यक़ीन अभी भी
सलामत है
हमारे पास।
(1 Jun 2024)
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