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कविता के जादूगर
इतने गहरे हैं हमारे अहसास
एकात्म मानवीय प्यार के बारे में,
इतनी गहरी हैं
मनुष्यता के शाश्वत अस्तित्ववादी
दुखों के बारे में हमारी अनुभूतियाँ
और हमारी मानवीय चिन्ताएँ,
इतनी गहराई से हम सोचते हैं
बसंत के कोंपलों, पतझड़ के
पीले पड़ते पत्तों,
खोई हुई चीज़ों,
इतराती नदियों,
सितम्बर की उदासी और मार्च के
बावलेपन जैसी चीज़ों के बारे में,
और तमाम पंखों जैसी नींदों, अनिद्रा भरी रातों,
फंतासी जैसे सपनों
और तमाम उपेक्षित और भुला दी गयी
चीज़ों और निष्कलुष सुन्दरता के बारे में
कि गलियों-सड़कों पर बहता लहू
हमें नज़र ही नहीं आता।
हमें हत्यारी भीड़ का शोर सुनाई नहीं देता।
हमारी कविता के आसपास भी
फटक नहीं सकता आतंक का
कुरूप अँधेरा।
हमारी कविता जीवन की हर कुरूपता
का बहिष्कार करती है।
दुर्दांत फ़ासिस्टों से हमारी अगर भेंट भी हो
तो उन्हें हम इस बात का क़ायल कर देंगे
कि सुन्दरता ही बचायेगी दुनिया को।
हम उन्हें कविता की ताक़त के बारे में
बतायेंगे और प्यार और करुणा के बारे में
और उन्हें आकाश में कबूतर उड़ाना सिखायेंगे।
इसतरह दुनिया को युद्धों और जनसंहार
और तमाम बुराइयों से बचाते हुए
हम खुले आकाश में
रंग-बिरंगी पतंगें उड़ायेंगे
और हमारी कविता दुखों के अँधेरे में भटकते अभागों को
मुक्ति का मार्ग दिखलायेगी।
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(21 Mar 2024)
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