Monday, February 05, 2024

आधी रात के बाद कुछ स्फुट विचार


 

आधी रात के बाद कुछ स्फुट विचार

एक तज़ुर्बेकार कामरेड अक्सर कहा करते थे कि मनहूस, ढोंगी, काहिल, कंजूस, स्वार्थी और लालची लोगों से दूर रहने में ही भलाई है। 

*

मेरा तज़ुर्बा बताता है तुच्छ (टुच्चे) और तिकड़मी (जोड़तोड़ करते रहने वाले) लोग अधिक डरावने होते हैं, चाहे वे समझदार हों या मूर्ख, इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता। 

*

दूसरी बात, विनम्र तानाशाह अधिक भयानक होते हैं और उनके कमअक्ल, दब्बू अनुयायियों की तो पूछिए ही मत!

*

हर महत्वाकांक्षी और यश-प्रतिष्ठाकामी या कैरियरवादी व्यक्ति भीतर से अकेला और असुरक्षित और प्रतिशोधी होता है। वह हवा के रुख को भाँपकर अपना रुख तय करता है और अपनी राह के हर रोड़े को बेरहमी से किनारे लगाने से पहले पल भर भी नहीं सोचता। 

*

तीसरी बात, कविता लिखने का कर्मकाण्ड करने वाले हृदयहीन और हिसाबी-किताबी लोग भी बहुत विकर्षण पैदा करते हैं। अक्सर वे छुपे हुए स्वेच्छाचारी, कायर और समझौतापरस्त होते हैं और नाज़ुक वक़्त आने पर अननुमेय आचरण करते हैं। 

*

आम तौर पर स्वार्थी और आत्मकेंद्रित लोग साहित्य सैद्धान्तिकी के ग्रंथ के ग्रंथ घोखकर भी एक अच्छी कविता नहीं लिख सकते। लेकिन आजकल बहुत सारी कविताएँ पढ़कर भयावह बनावटी-सजावटी कविताएँ लिखने वालों की भी कमी नहीं है। यही वे लोग हैं जो कविता को उसी अँधेरे की ओर घसीटे लिये जा रहे हैं जिधर हमारा समाज जा रहा है। कोई भी फ़ासिस्ट या निरंकुश सत्ता ऐसे कवियों को पसंद करती है। 

*

ऐसे भी विकट लोग होते हैं जो मित्रता या प्यार-लगाव को बस कूटनीति समझते हैं। 

*

लम्बे तजुर्बे के बाद मैंने महसूस किया कि पारदर्शी और सरल हृदय वाले लोग मुँहफट, झगड़ालू और अड़भंगी भी हों तो विश्वसनीय होते हैं और प्यारे इंसान भी। 

*

अपारदर्शी और बनावटी लोग अक्सर आत्ममुग्ध और निरंकुश होते हैं।

*

मेरे बाबा किसी-किसी आदमी से मिलने के बाद कहते थे, "यह जितना ज़मीन के ऊपर है, उससे अधिक ज़मीन के नीचे है। इससे सतर्क रहना!

*

जाहिर है कि ऐसे सभी चरित्रों ने अपने विशेष गुण ख़ानदान के जीन्स से नहीं हासिल किये हैं। ये हमारे उस घोर मानवद्रोही समाज की उपज हैं जिसमें हम जी रहे हैं और जिससे दिनरात लड़कर ही हम अपनी बची-खुची मनुष्यता को बचा सकते हैं और खोयी हुई अच्छी चीज़ों के साथ ही कुछ नये मानवीय गुण भी अर्जित कर सकते हैं। 

***

(डायरी का एक इन्दराज, 5 फरवरी, 2024)


No comments:

Post a Comment