Sunday, December 24, 2023


 ("कविताएँ लिखनी चाहिए ताकि कवि नैतिक अल्पसंख्यक न रह जाएँ..."-- देवी प्रसाद मिश्र)

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"कविताएँ लिखने वालों की बहुसंख्या जब अनैतिक हो जाये तो सच्चे कवियों  को हत्यारों की सत्ता और उसके समर्थकों और तटस्थता का नाट्य रचने वालों के ख़िलाफ़ मुँहफट कविताएँ लिखनी चाहिए भले ही वे इतने अल्पसंख्यक हों कि नगण्य क़रार दे दिये जायें। 

सबसे भयंकर बर्बर और क्रूर बहुमत की वह कथित लोकतांत्रिक सत्ता होती है जो हर तरह के अल्पसंख्यक के सिर पर तलवार की तरह या फाँसी के फंदे की तरह लटकती है चाहे वह धार्मिक अल्पसंख्यक हो या भाषाई या राष्ट्रीय या नैतिक। 

फ़ासिस्ट समय में जो कवि सच कहेंगे वही होंगे नैतिक अल्पसंख्यक जिनके लिए जेलों और यातना गृहों में स्थान आरक्षित रहेंगे और अख़बार किसी दुर्घटना में उनकी मौत, या देशद्रोह की किसी घटना में उनकी संलिप्तता की सनसनीख़ेज़ ख़बर छापने के लिए रोज़ रात देर तक इन्तज़ार करेंगे।"

-- कविता कृष्णपल्लवी

(24 Dec 2023)


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