रात के फेरीवाले के लिए एक बुलावा
ओ रात के फेरी वाले !
कभी सपने में ही आ जाओ
वैसे ही जैसे रहस्यमय भुतहा खण्डहर जैसे
हमारे घर के पिछवाड़े वाली सड़क पर
मद्धम चाल से चलते हुए तुम आते थे
रात दस बजे के बाद कभी
अपनी बहँगी बूढ़े कंधे पर उठाये हुए
जिसके अगले सिरे पर
एक लालटेन टँगी होती थी।
तुम्हारी लाठी की खटखट
और चटख खरखरी आवाज़ कानों में
पड़ने के साथ ही हमारे नथुनों में
रबड़ी और सोहन हलवा की सुबास
भर जाती थी।
पुराने दिनों की यादें स्त्रियों को अक्सर
किसी सीलन और घुटन भरे
अँधेरे बन्द कमरे में धकेल देती हैं
लेकिन मैं उस अँधेरे को याद करते हुए
धीरे-धीरे पास आते एक लालटेन को
याद करती हूँ और ज़ेहन में देर तक
रात की नीम अँधेरी सड़क पर
लाठी की ठकठक गूँजती रहती है।
पुराने अँधेरे दिनों की चंद बेशकीमती यादों में
शुमार है तुम्हारी याद
जो जब कभी आती है
तो हवा में सोहन हलवा की सोंधी ख़ुशबू
भर जाती है।
सोचती हूँ कि अगर तुम ज़िन्दा भी होते
तो कल्याणपुर और बड़े काज़ीपुर मुहल्लों के
बीच की
उस सड़क पर इलाहीबाग़ से चलकर
रबड़ी और सोहन हलवा बेचने अब नहीं आते।
सही है कि रबड़ी और सोहन हलवा में
गोमांस की मिलावट साबित कर पाना
लगभग नामुमकिन है
लेकिन फेरीवाले का नाम अगर सगीर मियाँ हो
तो सनातनी चमत्कार से नामुमकिन को भी
मुमकिन किया जा सकता है।
बच्चे भी तब तुम्हे 'सगीर चच्चा' नहीं
'बुड्ढा कटुआ' कहते और ताज्जुब नहीं कि
अपने ही शहर में बेगाना बना देने वाले हालात
वक़्त से पहले ही तुम्हें मौत के हवाले कर देते।
लेकिन ओ रात के फेरीवाले!
ओ बुढ़ऊ सगीर चच्चा!
हो सके तो कभी मेरे सपनों में आना
ख़ौफ़ज़दा सुनसान सड़क पर
अपनी लाठी ठकठकाते हुए
अपनी लालटेन की रोशनी और
रबड़ी और सोहन हलवा की मिठास के साथ।
माना कि पूरा मुल्क़ एक विशाल जेलखाना
बन चुका है
और बच्चों के सपनों तक में
ख़ौफ़ की परछाइयाँ नाचती रहती हैं,
लेकिन बहुत कुछ ऐसा अभी भी बचा हुआ है
जहाँ से एक नयी शुरुआत की जा सकती है।
तुम हमारे सपनों में हौसले की रोशनी लेकर आना
और बच्चों के सपनों में आना तो
तितलियों, पतंगों, काग़ज़ की कश्तियों, सीपियों
और कंचे-कौड़ियों के साथ
इन्द्रधनुष के सभी रंगों की बारात लेकर आना
और थके-हारे लोगों के सपनों में जब भी कभी आना
तो पठारी मैदानों में इस उम्मीद के बीज
छींटते हुए आना कि
आउश्वित्ज़ के बाद भी बहुत कुछ सम्भव है
जैसे कि एक कठिन लम्बे सफ़र की
फिर से शुरुआत,
या जैसे कि दिल को उड़ेल कर रख देने वाली
कोई कविता!
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(30 Nov 2023)
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