Friday, November 24, 2023

क़िस्सा-ए-इंटरव्यू


 क़िस्सा-ए-इंटरव्यू

ज.मो. ने बताया कि एक उत्साही नौजवान है, साहित्यिक यूट्यूब चैनल शुरू कर रहा है और आपका इंटरव्यू लेना चाहता है। फिर रा.स. ने बताया कि वैसे तो शरीफ़ लौण्डा है लेकिन आजकल कुछ लोगों के बहकावे में आ गया है। सफ़ेद कमीज़ के नीचे भगवा बनियान पहनने लगा है। इंटरव्यू का मक़सद दरअसल आपको घेरना है और आपके मुँह से ऐसा कुछ विवादास्पद कहलवाना है कि कुछ दिन बवाल काटा जा सके। 

फिर मैंने ट्रक पीछे करवा रहे खलासी की तरह कहा,"आन दे, आन दे!"

तयशुदा दिन तयशुदा वक़्त पर इंटरव्यू शुरू हुआ।

"आप कविता क्यों लिखती हैं?"

"एसे लिखत हईं कि तोहरे बाप से करजा मँगलीं त ऊ ना देहलें। एसे लिखत हईं कि कपारे पर आबामाई-काबामाई आइके बइठि गइल हइन। हमार मन! कबिता लिखीं चाहे दुआरी बइठि के मोदिया मुहझँउसा के सात पुस्त के तारींं, आ चाहे ढील हेरीं, तोर काहे खजुआता रे दहिजरा के पूता ! बड़का इंटरभिऊ लेवे वाला बनबे नू भकचोन्हरा, त पटकि के मइकवा मुँहवे में हूर देब।"

बस फिर क्या था! इंटरव्यू शुरू होते ही समाप्त हो गया।

घबराये-अकबकाये साक्षात्कर्ता को बाहर छोड़ते हुए मेरी दोस्त ने बताया कि 'दरअसल कभी-कभी इनको दौरा पड़ता है और तब यह ठेठ भोजपुरी बोलती हैं और खाँटी पुरबिहा गालियांँ देती हैं। आप तो सस्ते में छूट गये। गनीमत है।'

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(24 Nov 2023)

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