Friday, March 24, 2023


 "हम तो नफ़रत की नहीं, प्रेम, करुणा और शांति की बात करते हैं" -- ये वाली मुद्रा एक  मुखौटा होती है, सबसे शातिर और ख़तरनाक मुखौटा! इनका शांतिवाद और प्रेमवाद एक फासिस्ट समय में जनता को वैचारिक तौर पर निश्शस्त्र करता है जो बेहद ख़तरनाक होता है! गोर्की ने एकबार ऐसे ही बुर्जुआ मानवतावादियों को जवाब देते हुए कहा था कि अगर आप हमें घृणा और हिंसा का प्रचारक कहते हैं तो यह सच है! हम, भुखमरी, शोषण, ज़ुल्म, असमानता, युद्धों और नैतिक पतन से भरी इस दुनिया में इन आपदाओं के लिए ज़िम्मेदार शक्तियों से घृणा करते हैं और उस घृणा का सक्रिय रूप से प्रचार करते हैं! आज के समय में जो भी फ़ासिस्टों से, सभी मानवद्वेषी शक्तियों से, उनके विरुद्ध संघर्ष में ट्रोजन हार्स की भूमिका निभाने वाले तमाम छद्मवेशी मानवतावादियों और छद्म वामियों से, जितनी सक्रिय और गहरी घृणा करता है वह उतना ही बड़ा मानवतावादी है! जो प्रेम और करुणा की बात करते करते किसी फासिस्ट सत्ता प्रायोजित साहित्यिक जलसे की या किसी साहित्य महोत्सव की शोभा बन जाते हैं या किसी भाजपाई मंत्री या  राज्यपाल से दाँत चियारकर ईनाम ग्रहण करने लगते हैं और लौटकर समान परों के पंछियों की पाँतें सजाने में लग जाते हैं, जो हर उसूली विवाद में चुप रहते हैं ताकि अजातशत्रु बने रहकर अपनी गोलबंदी मज़बूत की जा सके, उनके वैचारिक विचलनों और अवसरवादी दुराचरणों पर यदि दो टूक भाषा में बात की जाये तो भरपूर हमदर्दीखोरी से मूर्ख और अराजनीतिक सदाशयी लोगों का दिल जीतने के लिए वे कहने लगते हैं कि 'यह तो भाषा की क्रूरता है, ये लोग तो फासिस्ट हैं, ये लोग आपसी विवाद करके फासिस्ट सत्ता की मदद कर रहे हैं, आदि-आदि...!' ऐसे लोग वस्तुतः मूर्ख सदाशयी नहीं बल्कि क्रूर कुटिल षड्यंत्रकारी होते हैं! साहित्य की दुनिया में वैसे भी सोशल डेमोक्रेसी और बुर्जुआ लिबरलिज़्म का जो घटाटोप है, उसमें इन्हें साथ उड़ने के लिए बहुत सारे समान परों के पंछी मिल ही जाते हैं! और दूसरे कुछ पंछी होते हैं जो सदा फेंस पर बैठे तमाशा देखते हैं और हालात भाँपते रहते हैं! और हाँ, ऐसे कुछ अहमक शरीफ़ भी होते हैं जिनकी तारीफ़ करके चतुर पंछी दाना पानी लेकर तैयारी करते रहते हैं और जब माकूल मौक़ा देखते हैं तो उनको चोंच मारकर सजातीय पंछियों के झुंड के साथ आसमान में उड़ जाते हैं!

(24 march 2023)


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