Monday, December 26, 2022

बेहद बोदा और हास्यास्पद तर्क


"अचानक ही एक बात याद आगई ।चार्ली चैप्लिन की ग्रेट डिक्टेटर की अन्तिम स्पीच चैप्लिन किस मंच से देता है? वह मंच तो हिटलर के लिये बना, उसकी सरकार का मंच था ।"-- राजेश जोशी

"यह तर्क बेहद बोदा और हास्यास्पद है I चार्ली हिटलर विरोधी की खुली पहचान के साथ, और नाज़ियों के आमंत्रण पर, वहाँ भाषण देने नहीं गया था! फिल्म में नाटकीय परिस्थितियों में उस नाई को हिटलर समझ लिया जाता है और वह वहाँ अपनी बात कहने में सफल हो जाता हैI दूसरी बात, फ़ासिज़्म और युद्ध विरोधी मेसेज देने के लिए चार्ली ने फ़िल्म में एक नाटकीय कल्पना को, या कहें कि अयथार्थ को यथार्थ के रूप में दर्शाया हैI इस बात को न समझना कला की कुत्सित प्रत्यक्षवादी दुर्व्याख्या होगीI जो दंगों, जनसंहार, माब लिंचिंग के बर्बर सूत्रधारों की गोदी मीडिया के गोयबल्सी गिरोह के मंच पर गये थे, उन्हें मोदी गोदी के पत्रकार टट्टुओं ने भाजपाई होने के भ्रम में नहीं बुलाया था (और यदि ऐसा होता तब तो यह आजतक और विश्व रंग का मंच सजाने वाले प्रगतिशीलों के लिए और भी शर्म की बात होती!) बल्कि ऐसा प्रगतिशील जानकर बुलाया था जिनके दौड़े चले आने की उम्मीद थी! यहाँ बुर्जुआ जनवादी स्पेस के इस्तेमाल का तर्क भी अगर कोई देगा तो बेहद अश्लील लगेगा!"-- कविता कृष्णपल्लवी

(26 Dec 2022)


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